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लाल रंग

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विनी 8-9 साल की एक नटखट, शैतान , चुलबुली सी लड़की , जिसको फूलो से बहुत लगाव और प्यार था . उसको फुलो के रंग आकर्षित करता  था । विनी सभी तरह के फुलो को पसंद करती थी लेकिन लाल रंग के फूल  से कुछ ज्यादा ही प्यार था। वो जिस कमरे में रहती थी उसमे एक बड़ा सा खिड़की था जिसके बाहर एक गुलाब का  पौधा  था  जिसमे कुछ फूल खिले हुए थे।   विनी  को ऐसा लगता था की फूल का रंग सुर्ख लाल होना चाहिए।                                उसके पास जो आता उससे बस यही बोलती थी, की इस फूल का रंग सुर्ख लाल क्यों नहीं है।  लेकिन कोई महत्व नहीं देता था और सभी हसी में टाल देते थे , इस बात को हर शाम व खेलने के बाद वह जब खिड़की पर बैठती तो उस पौधे  को जरूर देखती जिसमे फूल खिला होता था।       विनी ,पिंकी और बहुत सारे  बच्चे खेलने में मशगूल होते  थे , स्कूल के आने के बाद पुरे कॉलोनी के बच्चो की आवाज गुजंती थी।  सारे बच्चे दौड़ना भागना , लुका छिप...

नई माँ की उलझन ......

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                                                                                                    नई माँ की उलझन                                                          किसी भी स्त्री' के लिए पहली बार माँ बनने का अनुभव ही अनोखा होता है।  नौ महीने के तकलीफ का एक अद्भुत मजा अद्भुत अहसास और इंतजार एक नन्हे फ़रिश्ते का जो इस दुनिया में आने को तैयार है।  अपने और अपने बच्चे के लिए न जाने कितना सपना सजाती , देखती और उस सपने में जीती है।                          नौ महीने के बाद असहनीय दर्द के साथ .....नार्मल डिलीवरी,.... ...

पहला प्यार...पहला अहसास

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शाम को फोन की घंटी बजी और अनु ने देखा    ..... आकाश का फोन था, बिना देर किये उसने फोन उठा लिया फिर आकाश ने कहा मै  अभी रायपुर  में हूँ , कल मिल सकते है क्या |  अनु मन ही मन खुश तो बहुत  हुई, पर कुछ बोल न पा  रही थी कुछ देर अपने को सम्हालने और लम्बी साँस लेने के बाद उसने हाँ  में उत्तर दिया | पर अनु अंदर से डरी हुई थी क्योकि यह उन दोनों की पहली मुलाकात थी।                           दोनों पहले फेसबुक दोस्त  बने फिर बात धीरे धीरे आगे  बढ़ी, और मोबाईल  नंबर एक दूसरे को दिया , प्यार भी खुमार चढ़ने लगा था , अनु को आकाश से बात करके बहुत ख़ुशी मिलती थी।  हर छोटी से छोटी बात  आकाश को बताने लगी थी और फिर कल मिलना है यह सोच कर  मन  ही मन खुश हो रही थी। रात  भर नींद नहीं आई ,कब सुबह हुआ पता ही नहीं चला | फिर कश्मकश में यही सोचते हुए की क्या पह्नु जो आकाश को पसंद आये , कब 9 बज गये  पता ही नहीं चला। फिर बहुत समझने के बाद एक सफ़ेद और रेड सूट प...